Bank का Interest Rate से सस्ते कर्ज का ऐसे निकलेगा रास्ता 2025
हम को बात दे की हल ही मे वित्त मंत्री निर्मला सितारमन और वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल के बयान से ब्याजा डरो मे कटौती का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है दरअसल अब बहस इस बात पर चल रहा है की रिटेल महंगाई दर को ध्याल मे रखते हुये ब्याजा दर को घटना चाहिए या फिर इन्हे ताए करने के लिए इससे बड़ी तस्वीर को देखना चाहिए
वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल और वित्त मंत्री निर्मला सितारमन दोनों ही ब्याजा डरो मे कटौती का वकालत कर चुके है लेकिन सवाल यहा है की क्या अगले महीने होने वाला मॉनेटरी पॉलिसी के बैठक मे इस बात को गंभीरता से लिया जाएगा साल 2023-24 के आर्थिक सर्वे मे भी इस मुद्दे को उठाया गया था
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रिटेल महंगाई पर नही होगा ब्याज का फ़ैसला
सर्वे मे कहा गया था की रिटेल महंगाई दर मे खाने पीने के सामना के साथ एनर्जी प्राइस शामिल होते है जबकि ब्याज दर को तय करने का आधार केवल कोर महंगाई होना चाहिए अमेरिका यूरोप और जापान मे भी ब्याज दरो को तय करते समय खाध और एनर्जी के कीमतों को अलग कर दिया जाता है जानकारो के मुताबिक रिटेल महंगाई दर को आधार बन कर ब्याज दर को तय करना गलत है
क्यो की खाध वस्तुओ की कीमते अक्सर सप्लाई की कमी की वजह से बढ़ती है और अगर बाकी सामानो की कीमते बढ्ने लगती है तो उन्हे मौदिक नीति के जरिये कंट्रोल किया जा सकता है इस बात का समर्थन करते हुये वित्त मंत्री निर्मला सितारमनने यहा भी कहा था की आलू , प्याज़ और टमाटर जैसे सामनो के दाम की वजह से रिटेल महंगाई दर बढ़ रही है इस सामनो की कीमते मौसमी वजहों से बढ़ती है इसमे कोई स्थिरता नही होता है
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उन्होने यहा भी कहा है की दूसरे वस्तुओ की महंगाई दर पर नियंत्रण है अक्टूबर मे महंगाई दर 6.2% तक पाहुच गई जो पिछले 14 महीनो मे सबसे ज्यादा था इस बढ़ी हुई महंगाई के बीच आरबीआई ब्याज दरो मे कटौती से बचता है क्योकि इससे लोन सस्ता हो जाएगा और ज्यादा मांग से कीमते बढ़ जाएगा जो महंगाई मे इजाफा करेगा जानकारो के मुताबिक मौसमी बदलाव जैसी सब्जियों की कीमतों मे बढ़ोतरी को आधार बनाकर ब्याज दरो का फ़ैसला करना गलत है भारत जैसे विकासशील देश मे मौद्रिक नीति का मुख्य मकसद आर्थिक विकास रोजगार के मौके बढ़ाना और गरीबो के स्तर को बढ़ाना होना चाहिए
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